विद्रोह नहीं कर सकता हूँ  DEVENDRA PRATAP VERMA

विद्रोह नहीं कर सकता हूँ

DEVENDRA PRATAP VERMA

आदेशों के पालन में अवरोध नहीं बन सकता हूँ,
मैं सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।
 

हे जनमानस हे जग पालक
हे सत्ता के दृढ़ निर्वाचक,
आँखें खोलो जागो देखो
क्या परिदृश्य नज़र आता है,
भूख गरीबी और कपट में
लिपटा देश नज़र आता है।
 

तुम जैसी हुंकार गर्जना घोर नहीं कर सकता हूँ,
मैं सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।
 

बेच रहे हैं घर के मालिक
अपने घर की चौखट को,
पानी के रखवाले जैसे
रौंद रहे हों पनघट को,
बात शांति की करते हैं
लेकिन लाते दहशत को।
 

संरक्षक बन सत्ता का प्रतिरोध नहीं कर सकता हूँ,
में सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।
 

सेवा करना परम धर्म है
बचपन से सिखलाया है,
पर न जाने क्यों सेवा को
अब व्यापार बनाया है,
नैतिकता के प्रांगण में
परचम तम का लहराया है।
 

फिर भी दीपक बनकर सकल अजोर नहीं कर सकता हूँ,
में सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।
 

मजदूरों का काम छिन रहा
नहीं फसल का दाम मिल रहा,
कृषक सोच में व्याकुल बैठे
नहीं कहीं आराम मिल रहा,
नौकरियों पर आफत आई
ये कैसा अभियान चल रहा।
 

ऐसे अभियानों पर गहरी चोट नहीं सकता हूँ,
मैं सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।
 

निजीकरण में निजता का
कोई सम्मान नहीं होगा,
मानवता की प्रभुता का
कोई प्रतिमान नहीं होगा,
एक धर्म सौदेबाजी का
दूजा नाम नहीं होगा।
 

समझो मेरी बातों को कुछ और नहीं कह सकता हूँ,
मैं सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।

अपने विचार साझा करें




1
ने पसंद किया
1028
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com