कहाँ है आसान  Om Prakash

कहाँ है आसान

Om Prakash

कहाँ है आसान,
नौ महीने मौत के मुँह में जाकर हमें जन्म देना,
दुधमुंहे जान की हर बात बिना बोले पहचान लेना,
गोद में दूध पिलाते बच्चे को
बोलना सिखा देना भी कहाँ आसान है।
ये तो बस माँ है, जो उसकी सब हरकतों को जानती है,
वरना घुटनों पर रेंगते मुन्ने को
चलना सिखा देना भी कहाँ है आसान।
 

कहाँ है आसान,
अपनी सभी ज़रूरतें दबा कर अपनों की ख्वाहिशें पूरी करना,
खुद भूखे रहकर पहले सबको खाना खिलाना,
बच्चे की आँख में आँसू हो तो
खुद की नींद उड़ा देना भी कहाँ आसान है।
ये तो बस माँ है, जो चुपचाप सब सह जाती है,
वरना खुद को भूलकर अपनों के लिए जीना भी कहाँ है आसान।

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