वो जो थी ना ... Deepak
वो जो थी ना ...
Deepakवो...जो....थी ना.... बहुत कमाल थी वो,
दीवाली की फुलझड़ी..होली का गुलाल थी वो।
वक्त थाम कर जो दो घड़ी देख लेते उसको,
नए योवन का... सोलह सिंगार थी वो...
जेठ की दुपहरी में ठंडे पानी की फुहार थी वो,
अभी तक कुछ कहा नहीं है हमने उनसे...
मेरे मासूम से दिल का...पहला प्यार थी वो..,
पतझड़ के मौसम में भी...सावन की बाहर थी वो....।
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जब किसी को बाली उम्र में प्रेम हो जाता है तथा उसके मन में उठते वो मीठी सी हलचल, वो समय ही बहुत खूबसूरत होता है वो एहसास ही बहुत प्यारा होता है, जब समय धीरे-धीरे गुज़रने लगता है और किसी दिन जब उस पल की यादें दोबारा दिल पर काबू करने लगती हैं तब उसकी याद आते ही उसकी मोहिनी सूरत का बखान जपने लगता है।