सच है ये मैंने माना Ajay Kumar Pandey
सच है ये मैंने माना
Ajay Kumar Pandeyसच है ये मैंने माना
जब सच को खुद पहचाना,
जग में यदि जीना है तो
अवसादों से न घबराना।
फूल भी हैं और काँटे भी,
मेले भी हैं, सन्नाटे भी,
कहीं बारिश, कहीं धूप खिली
कहीं उजाले, कहीं रातें भी।
सुख-दुःख का है ताना बाना
खुशियों को पर, घर ले आना,
दुनिया में यदि जीना है तो
मुश्किल से न घबराना।
सत पथ पर चलना संभलकर
मिलना सबसे सँभल सँभलकर,
पग में शूल बिछे हैं लाखों
बिखर न जाना कहीं भटककर।
हर दिल में है प्यार जगाना
सबको है मनमीत बनाना,
दुनिया में जीना है तो
मुश्किल से न घबराना।
तू राही है उस पथ का
अंत नहीं है जिस पथ का,
दीप आस का सदा जलाना
आधार बना अपने मन का।
थक कर कहीं बैठ न जाना
अपने मन को तू समझाना,
दुनिया में यदि जीना है तो
मुश्किल से न घबराना।