कलम का सवाल Anupama Ravindra Singh Thakur
कलम का सवाल
Anupama Ravindra Singh Thakurमेरी कलम मौन है
पूछ रही है मुझसे
क्या लिखूँ?
महामारी से मरते
लोगों की आह लिखूँ
या देश के लिए शहीद होते
सैनिकों की कुर्बानी लिखूँ
या सैनिक के लिए
रोते-बिलखते परिवार की
व्यथा लिखूँ?
या उनकी शहादत पर
राजनीति करते
मक्कारों की मक्कारी लिखूँ?
मेरी कलम मौन है
पूछ रही है मुझसे
क्या लिखूँ ?
पड़ोसी देशों का कपट और राज्य लोलुपता लिखूँ ?
या संकट के समय भी
आरोप-प्रत्यारोप करते
नेताओं की बयानबाजी लिखूँ ?
या फिर
शत्रुओं के सुर में सुर मिलाते
देशद्रोहियों की धोखेबाजी लिखूँ ?
मेरी कलम मौन है
पूछ रही है मुझसे
क्या लिखूँ?
मौसम की मार से त्रस्त
किसानों और मजदूरों की
दुर्दशा लिखूँ ,
या राजनेताओं की
भेड़िया चाल की बलि चढ़ते
आम आदमी की कहानी लिखूँ ?
या फिर
देश पर बढ़ रही विपदा में
आम आदमी की प्रार्थना लिखूँ ?
या फिर
स्वार्थी सत्ता हस्तांतरण करने वालों की
सत्ता लोलुपता लिखूँ ?
मेरी कलम मौन है
पूछ रही है मुझसे क्या लिखूं?