यादें Tanushri Das
यादें
Tanushri Dasप्यार था या नहीं पता नहीं,
पर अभी जो है, वो प्यार नहीं,
बातें जो कहीं थी कभी
अभी शायद उसको याद भी नहीं।
हमको फिर क्यों याद है, वो सारी बातें
क्यों नहीं हम भी आगे बढ़ जाते,
भूल कर भी भूल नहीं पाते,
इतनी भी कहाँ की थी हमने बातें
जितनी बन गई है हमारी यादें।
ज्यादा लगती है यादें
भारी हो जाती है रातें,
कैसे खाली करें ये यादों का पिटारा
क्या सच में खाली करना होगा सारा?
क्यों नहीं रह सकती ये यादें मेरे साथ
चलेंगी ये भी थामे मेरा हाथ,
रख लो तुम इनको अपने साथ
पर फिर रोते हुए ना आना मेरे पास,
पूछने फिर वही सवाल।
क्यों नहीं भुला पाती मैं हर बात,
चाहती हो अगर सब कुछ भुलाना
तो खोल दो पिटारा,
उड़ने दो यादों को, खुला है आसमान,
शायद ढूँढ कर ले आए वो तुम्हारा राजकुमार।