सशक्त है बदलाव में  Shalini Jain

सशक्त है बदलाव में

Shalini Jain

सशक्त है बदलाव में
धरा का दर्द ज्ञात नहीं,
जुड़ाव संस्कृति से था जो
वो हमें अब भाता नहीं।
 

बदलाव सिर्फ बदलाव
अच्छे से बुरे की ओर जा रहे
और मान रहे बदलाव,
इस बदलाव ने धरा का छीन लिया मान,
दर्द सिर्फ धरा का नहीं
क्षीण हो गए सभी रिश्ते नाते हो या इंसान।
 

साँसों को भारी पड़ रहा बदलाव,
पेड़ों को काट कंक्रीट की बस्तियाँ बसा रहे,
अब तंग गलियारों में साँसों को ढूंढ़ते नज़र आ रहे।
 

बदलाव कैसा है ये बदलाव
जिस सभ्यता से थे जुड़े
उसको खोकर
आज फिर ढूँढ़ते नज़र आ रहे,
ये सभ्यता का प्रेम नहीं
प्रेम है साँसों का
जिनको हम खोते जा रहे,
धरा को कर आहत हम सब कुछ खो चुके
अंधकार को मान जीवन।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
661
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com