टिमटिमाता तारा  Garima Jain

टिमटिमाता तारा

Garima Jain

टिमटिमाते इक तारा आया,
सोई थी नींद में गहरी
आके उसने मुझे जगाया,
देख उसे मन चौकाया
कौन है?
कहाँ से आया?
 

"मैं इक तारा छोटा
दूर गगन से हूँ आया,
आसमां में जब टूटा
नज़र तुम्हारा स्वप्न आया,
देख रंगों की दिशाएँ
एक रंग मैं भी भरने आया।"
 

सुन बातें तारे की
मेरा मन मुसकाया,
'स्वागत है आपका'
ये सुन,
तारा टिमटिमाया।
लेकर अपनी सुनहरी चाँदनी
मेरे सपने में चला आया,
चंचल नील नवरत
ऊपर-नीचे, इधर-उधर
चारों ओर छाया,
सपनों की दुनिया में
अनोखा उदम मचाया।
खोल-खोल बंद तिजोरियाँ
किया सबका साफ़-सफाया,
बिखरे पड़े मनोबल को
खुशियों का ताज पहनाया।
 

भरकर अपना सुनहरा रंग
तारा लौट कर वापिस आया,
'पूरे करो सपने अपने'
मैं अपना काम कर आया।
टिमटिमाता एक तारा आया......

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