मेरे जज़्बात  Shubham Amar Pandey

मेरे जज़्बात

Shubham Amar Pandey

कई किरदार जीने की ख्वाहिश करता हूँ मैं,
वो अलग बात है कि रोज़ कई बार मरता हूँ मैं।
 

ठहर कर मैं भी देखना चाहता हूँ ज़िन्दगी को,
लेकिन हर पल नए सफर से गुज़रता हूँ मैं।
 

कोई अपना भी मुझे कहाँ तक संभाले,
ज़िन्दगी के सफ़र में रोज़ कई बार गिरता हूँ मैं।
 

तुम कहते हो एक दिन मैं खामोश हो जाऊँगा,
लगी हो अदब की महफ़िल तो कहाँ चुप रहता हूँ मैं।
 

मैं अकेला हूँ इसका गम नहीं है मुझे,
अश्क बनके कई लोगों के दिल में उतरता हूँ मैं।

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