ख़ुश्बू Mohanjeet Kukreja
ख़ुश्बू
Mohanjeet Kukrejaजब किया तुमने है फिर ठीक भी तुम ही करोगे,
अब जैसा किया होगा आख़िर वैसा ही तो भरोगे।
बेकार ही इतराते हो, जो आया है वो तो जाएगा,
तुम भी नश्वर हो, कब तक फिर अंजाम से डरोगे।
हौसला तुम क़ायम रखो, मुश्किल चाहे कैसी हो,
हाथ-पैर अगर मारते रहो, कभी तो तुम उभरोगे।
कुछ अच्छा हो जाये अगर, श्रेय ख़ुद ले लेते हो,
कब तक गुनाहों का इलज़ाम क़िस्मत पर धरोगे।
कर्मों से मानव-जीवन मिला, अब इंसान तो बनो,
बस भी करो, पतन की गर्त में कहाँ तक उतरोगे।
हसरतें बहुत रखते हो… चाहते हो सब याद रखें,
ख़ुश्बू बनके दिखाओ पहले, तभी न तुम बिखरोगे।
सुधरने से पहले हालत बिगड़ते अक्सर ज़रूर हैं,
ज़िन्दगी के इम्तिहान हैं, इनसे रोज़ ही गुज़रोगे।