पहचान  Prabhat Pandey

पहचान

Prabhat Pandey

पहचान एक खोज है बंधु
जो तुमको खुद से अपनानी होगी,
बातों से जो नहीं समझती
अब तुमको खुद को समझानी होगी।
 

खुद से खुद की
पहचान बहुत ज़रूरी है,
अपने कर्म और अस्तित्व का
मान बहुत ज़रूरी है।
 

कोई किसी का नहीं यहाँ पर
स्वयं के तुम अधिकारी हो,
क्यूँ किसी के दम पर पलना
तुम स्वयं के सत्ताधारी हो।
 

चुप हैं कुछ आवाजें, जो नहीं सुनाई देती हैं,
उनके सिले हुए होठों की तुम पहचान बनो,
खड़ी हुई जो मूर्ति रूप में
उस काया के प्राण बनो।
 

लोगों में जो बसी नफ़रत और वेदना
तुम उसका संहार करो,
परम पुनीत पावन चरणों में
तुम सच्चा गुणगान करो।
 

पैसा तो एक मैल है बंधु
ना साथ किसी के जाएगा,
माटी का ये देह तुम्हारा
माटी में मिल जाएगा।
 

क्यूँ करनी है लोक बुराई
छल का चोला वो पहनाएगी,
तेरी पापी किस्मत
पाप भंवर में ले जाएगी।
 

पुण्यों की पूँजी जोड़ो
परोपकार के काम करो,
इन सबकी भारी कीमत
अंको में जुड़ जाएगी।
 

कहाँ से आए कहाँ है जाना
ये वक्त तुमको बतलाएगा,
रह जाएगी यह पहचान
जब तू दुनिया से जाएगा।
 

लोगों के छोटे ह्रदय में
विस्तृत तुम पहचान बनो,
पहचान एक खोज है बंधु
तुम अपनी पहचान बनो।

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