प्रेम रोगी Satish sanwle
प्रेम रोगी
Satish sanwleशहर की इन गलियों मेंं,
जगह नहीं इन बड़े मकानो में।
हमसे नफरत है यहाँ के दिलों की दीवारों में,
आ निकल चलें हम यहाँ से बहारों में।
कुष्ट रोग न है हमारी काया में,
परंतु ईलाज न यहाँ के हाकिम खानो में।
रोग है प्रेम का, जो लगा है दो दिलों कि दीवारों में,
आ निकल चलें हम यहाँ से बहारों में।