विश्वास  Anupama Ravindra Singh Thakur

विश्वास

Anupama Ravindra Singh Thakur

हर रिश्ते की बुनियाद है विश्वास,
तनिक सा संदेह भी ना भटकने पाए आसपास,
मर जाते हैं रिश्ते खत्म हो जाता है उल्लास,
वर्षों लग जाते हैं उनमें भरने श्वास,
हर रिश्ते की बुनियाद है विश्वास।
 

अगर ना हो भक्त का भगवान में विश्वास
तो हर मूर्ति से होगा केवल पत्थर का आभास,
भक्त के विश्वास से ही तो
पाषाण में भी होता है दिव्यता का एहसास,
हर रिश्ते की बुनियाद है विश्वास।
 

पति-पत्नी में हो अगर विरोधाभास
हर पल संदेह, हर पल अविश्वास,
हर पल झगड़ा, हर पल कलह,
हर पल होगा रिश्तों का सर्वनाश,
हर रिश्ते की बुनियाद है विश्वास।
 

दिन-ब-दिन हम सबका
मानवता पर से उठ रहा है विश्वास,
हैवानियत तांडव करती दिखती है आस-पास,
नकारात्मक प्रवृत्तियों का बढ़ रहा अभ्यास,
करना चाहते हो अगर तीव्र गति से विकास
तो छोड़ो यह संदेह, शंका और अविश्वास,
बढ़ाओ अपनी आस्था, श्रद्धा और विश्वास,
ऊँचा करो अपना भी आत्मविश्वास,
छोटा सा यह जीवन है, जियो इसे बिंदास।

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