मुकद्दर  Rohit Kumar Singh

मुकद्दर

Rohit Kumar Singh

देखा ना जा सके कभी वो मंजर देखना
बिना गुनाह किए उन हाथों में जंजीर देखना,
खुदा ने है जो बनाई तकदीर तुम्हारी
उन हाथों के लकीर की कश्मकश देखना।
 

मुश्किलों में जब आती जरूरत अपनी
फैला कर वही हाथ खुदा सामने देखना,
मुश्किलों से भरा है सफर अपना
डगमगा ना जाए वो कदम देखना।
 

प्रयास करना है चलते हुए निरंतर,
बनने लगेगा बिगड़ा हुआ मुकद्दर देखना।

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