शिव Anupama Ravindra Singh Thakur
शिव
Anupama Ravindra Singh Thakurहे! महाकाल,
हे! महाप्रलयंकर
रूठे क्यों हो हमसे?
बता दो हे! शिव शंकर
हे! जटाधारी
हे! त्रिपुरारी
ऐसे ही नहीं फैली है
जगत में महामारी।
क्यों बन गई आज
प्रकृति विनाशकारी ?
क्यों शापित हुई है
यह धरती हमारी ?
भयभीत होकर घर में
बैठी है प्रजा सारी।
कहीं भुखमरी तो
कहीं अन्न की लाचारी,
दम तोड़ रही है
इंसानियत सारी।
आप पर टिकी है
दृष्टि हमारी,
हे! डमरूधारी
इस विष को हर लो
हे ! विषधारी
संकट मुक्त करो
हे! पिनाकधारी
जब-जब संकट
पड़ा है भारी
तब-तब विषपान किया
आपने हे! विषधारी
अब के क्यों हो रही है देरी,
प्रलय मचा रही है
व्याधि विनाशकारी,
निकालो अपना पिनाक
महास्त्र विनाशकारी
कर दुष्ट का संहार
जीवन दान दे दो
हे! कल्याणकारी।
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शंकर जी को संहार का देवता कहा जाता है। शंंकर जी सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं।भगवान शिव को रूद्र नाम से जाता है रुद्र का अर्थ है रुत दूर करने वाला अर्थात दु:खों को हरने वाला अतः भगवान शिव का स्वरूप कल्याण कारक है।