उसकी आँखों के तीर...  KAMAL JEET SINGH

उसकी आँखों के तीर...

KAMAL JEET SINGH

बेरोज़गार युवाओं के हृदय की पीड़ा को उजागर करने वाली बेहद मनमोहक कविता

जब से उसने आँखों से तीर चलाया है,
तबसे दिल के हर कोने में वो ही समाया है।
जबसे उसने आँखों से……………………….....
 

सोचता हूँ कि उसे ख्यालों से निकाल दूँ
सामने वो आए तो नजर अंदाज कर दूँ,
लेकिन हर कोशिश पर खुद को नाकाम पाया है।
जबसे उसने आँखों से……………………….....
 

जब-जब मैंने उसे भुलाना चाहा,
उसका हँसी चेहरा ख्यालों में आया है;
रग-रग में अब वो बस गया है ऐसे
जैसे मेरे लिए ही उसे रब ने बनाया है।
जबसे उसने आँखों से……………………….....
 

कभी दिल कहता है उसे अपना बना लूँ,
आँखों से उसकी अपनी आँखें लड़ा लूँ ;
कभी दिल कहता है मैं उसको भुला दूँ,
पहले अपना सफल कैरियर तो बना लूँ ;
ऐसे ख्यालों ने पागल बनाया है।
जबसे उसने आँखों से……………………….....
 

करता हूँ एक वादा आज मैं खुद से,
निकाल दूँगा उसके ख्याल अपने दिल से;
पहले पढ़ लिख कर कुछ कर दिखाना है,
उसकी ख्वाहिशें पूरी करने लायक खुद को बनाना है,
मेरा ये फ़ैसला मेरे दिल को भाया है।
जबसे उसने आँखों से……………………….....
 

कल को जब मैं खुद से कमाऊँगा,
अपने और उसके मम्मी-पापा को मनाऊँगा
झट-पट उससे ब्याह रचाऊँगा ,
चुन्नू और मुन्नू का पापा बन जाऊँगा ;
अपना ये सपना मैंने तुमको बताया है।
जबसे उसने आँखों से……………………….....

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