कोरोना - आपदा में अवसर PREM KUMAR KULDEEP
कोरोना - आपदा में अवसर
PREM KUMAR KULDEEPयह एक संक्रमण काल है
बहुत से दुखों का जंजाल है,
पर जीवन की भावी संभावना में
यह आत्मविश्वास का अवसर है।
यह उपभोक्तावाद की दौड़ नहीं
अपितु प्रकृति के नैसर्गिक रुप को
सुधारने का अभिन्न अवसर है।
यह वक्त भविष्य को बिगाड़ने का नहीं
बल्कि जीवन की कसौटी पर
खरा उतने का एक अवसर है,
कोरोना – यह एक आपदा है
पर आत्मसुधार का अवसर भी है।
यह वक्त आपस में मतभेद का नहीं,
अपितु संस्कृति और विचारों में
संतुलन का अभिनव अवसर है।
यह वक्त अमीर-गरीब का नहीं
सत्ता और स्वार्थ का नहीं,
बल्कि आर्थिक स्वावलंबन से
सबको मजबूत बनाने का अवसर है।
कोरोना – यह एक आपदा है
पर आत्मसुधार का अवसर भी है।
ज़िन्दगी अब ज्योतिष, पाखंड और
अंधविश्वास का नाम नहीं,
अपितु सेवा, करुणा और
परोपकार का सुअवसर है।
यह धर्मों की आस्था में
डूब जाने का वक्त नहीं,
बल्कि सच्चाई से
कर्त्तव्य परायणता का अवसर है।
कोरोना – यह एक आपदा है
पर आत्मसुधार का अवसर भी है।
यह वक्त मांस, मदिरा और
मंदिर/मस्जिद का नहीं,
बल्कि यह स्वस्थ जीवन और
शाकाहार का अद्भुत अवसर है।
यह वक्त धार्मिक आडम्बरों
और शंख-नगाड़ो का नहीं,
अपितु ज्ञान-विज्ञान और सूझ-बूझ से
सुशासन का एक अवसर है।
कोरोना – यह एक आपदा है
पर आत्मसुधार का अवसर भी है।
यह भौतिकता की सुख-सुविधा में
खो जाने का वक्त नहीं,
अपितु आत्मचिंतन से
सादा जीवन उच्च-विचार का अवसर है।
यह महँगी स्कूल-कॉलेज या कान्वेंट में
बच्चों को पढ़ाने का वक्त नहीं,
अपितु सरकारी शिक्षण संस्थानों को
चुस्त-दुरस्त करने का नव अवसर है।
कोरोना – यह एक आपदा है
पर आत्मसुधार का अवसर भी है।
यह वक्त अपनों से दूर रहने का नहीं
बल्कि विपत्ति में सब के साथ
खड़े हो जाने का अवसर है,
यह सिर्फ खुद के लिए जीने का वक्त नहीं
बल्कि सबके जीवन को महसूस कर
आत्मविश्वास जगाने का अवसर है।
कोरोना – यह एक आपदा है
पर आत्मसुधार का अवसर भी है।
यह वक्त व्यापार ज़माने का नहीं
धन कमाने का नहीं,
लाभ-हानि का नहीं,
बल्कि संतुष्टि और सेवाभाव से
मुश्किलों से उबरने का अवसर है।
यह हताशा का नहीं
और ना ही निराशा का वक्त है,
अपितु जीवन की हर परीक्षा में
उत्तीर्ण हो जाने का अवसर है
कोरोना – यह एक आपदा है
पर आत्मसुधार का अवसर भी है।
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कोरोन के इस संक्रमण काल में हमारा जीवन बहुत प्रभावित हुआ है। समूचे विश्व में करोड़ों लोग इस बीमारी से ग्रसित हुए हैं और लाखों लोगों की बहुमूल्य जानें गई हैं। यहाँ तक कि कोरोना ने मनुष्य के साथ-साथ पशु-पक्षी और ईश्वर तक को नहीं छोड़ा है उन्हें भी तालाबंदी में बंद कर दिया है। मेरी यह रचना "कोरोना – यह एक आपदा है पर आत्मसुधार का अवसर भी है" हम सभी को इस बात के लिए प्रेरित करेगी कि इस आपदा काल से हम कई सीख लेकर जीवन में आत्मसुधार कर सकते हैं, आत्मविश्वास जगा सकते हैं और आत्मनिर्भर बना सकते हैं। नए वाले भविष्य को हम कितना अच्छा और सुंदर बना सकते हैं मेरी इस कविता में विस्तार से प्रकाश डाला गया है।