रिश्वत ABHISHEK KUMAR GUPTA
रिश्वत
ABHISHEK KUMAR GUPTAअपना काम बनाते चलो
रिश्वत की गंगा बहाते चलो,
कोई ना ले रिश्वत तो उसे
रास्ते से अपने हटाते चलो।
रिश्वत की गंगा..............
क्या पंडित क्या मुल्ला भाई
सब इसके ही पुजारी,
इसके आगे ही ये दुनिया
अपना ईमान भी हारी,
और बेईमानी सिखाते चलो।
रिश्वत की गंगा..............
सरकारी दफ़्तरो में इसकी
होती निस-दिन पूजा,
अफसरों को बिना भोग लगाए
होता काम न दूजा
फाईलों मे रख करके देते चलो।
रिश्वत की गंगा..............
शिक्षा में डोनेशन कहते
राजनीति मे चंदा,
रूप एक पर नाम अनेकों
ध्यावे हर एक बंदा
तुम भी मन से ध्याते चलो।
रिश्वत की गंगा..............
लाख करो चोरी बेईमानी
सबसे ये है बचाता,
रिश्वत देने वाला बंदा
सब पर रौब जमाता
और भ्रष्टाचार बढ़ाते चलो।
रिश्वत की गंगा..............
ये वो सुख है जिसके आगे
सब सुख नीरस लागे,
राजा, मंत्री और प्रजा सब
इसके पीछे भागे
और सभी को भगाते चलो।
रिश्वत की गंगा...........