जीवन उपदेश !  Mohanjeet Kukreja

जीवन उपदेश !

Mohanjeet Kukreja

मनुष्य-जन्म मिला है, क्यूँ इसको व्यर्थ हो जाने दो।
सबके आकर काम, जीने का कुछ अर्थ हो जाने दो।।
 

तक़दीर के मत्थे मत मढ़ो, सब कर्मों का क़िस्सा है।
कुछ खुशियाँ हैं कुछ ग़म, जिनमें सब का हिस्सा है।।
 

जो, जैसा, तुम करते हो, वैसा ही आख़िर भरते हो।
बोकर बीज बबूल का, आम की इच्छा क्यूँ करते हो।।
 

अगले जन्मों की फ़िक्र छोड़, इस जीवन की सुध लो।
अब अपने किये-कराये की, ज़िम्मेदारी तुम ख़ुद लो।।
 

औरों के दुःख-दर्द को समझो, कुछ परोपकार करो।
सब यहीं धरा रह जाएगा, यह तथ्य स्वीकार करो।।
 

इच्छाओं का अंत नहीं, शुक्राने की भी बात कर लो।
संतुष्ट रहने की आदत, अपने में आत्मसात कर लो।।
 

जीवन सच में अनमोल है, करो इसका आदर-मान।
नित्य कुछ पल ही सही, हो सिरजनहार का ध्यान।।
 

बूढ़े माँ-बाप को यदि, वृद्धाश्रम छोड़ कर आओगे।
अपने बच्चों द्वारा कल तुम, वहीं भिजवाए जाओगे।।
 

हम तो सिर्फ़ मुसाफ़िर हैं, और दुनिया एक सराए।
जो आए हैं, ज़रूर जाएँगे, चाहे अपने हों या पराए।।
 

ज़माना रखे याद सदा, ऐसा अपना नाम कर जाओ।
जनकल्याण के क्षेत्र में, कोई महान काम कर जाओ।।

अपने विचार साझा करें




1
ने पसंद किया
1139
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com