उस पार क्षितिज पर रोशन "अनुनाद"
उस पार क्षितिज पर
रोशन "अनुनाद"उस पार क्षितिज पर कौन है वो,
शांत है, कितना मौन है वो?
उस पार क्षितिज के... जाकर,
एक और किनारा... पाकर,
राह की सारी दुश्वारी,
उलझन, सारी बेज़ारी,
तपिश, वो सारी तन्हाई,
गम सारे, वो रुसवाई,
भूल गया सारी बातें,
देख के सुरमई रातें।
सतरंगी प्रकाश हुआ,
पतझड़ अब मधुमास हुआ,
गुम होकर फिर दूर कहीं,
थक के, होकर चूर कहीं,
सोया, ऐसे मौन है वो,
देख, क्षितिज पर, कौन है वो।