किस्मत में मेरा प्यार pankaj kumar singh
किस्मत में मेरा प्यार
pankaj kumar singhअब मुझे लगता है तुम्ही ने मुझे फँसाया
हम एक हो न पाए तो फिर क्यूँ हमें मिलाया,
जैसे सभी आई गईं तो वो भी चली जाती
मैं खामोश ही तो था, वो जो आँख न लड़ाती,
मैं था सबसे सीधा -साधा, वो यूँ जो न मुस्कुराती।
जो वो मेरी किस्मत में न थी, तो उसे मुझे क्यूँ दिखाया
दिखा भी दिया गर, तो फिर क्यों मुझसे मिलाया,
बस उसी के खातिर एहसास क्यों जगाया,
अब मुझे लगता है भगवान, तुम्हीं ने मुझे फँसाया।
जब भी मैंने उसको मंदिर पे जाते देखा,
हर बार तेरे दर पर सर को झुकाते देखा,
माना उसी के खातिर मैं तेरे पास आया और ये शीश भी झुकाया,
इसी बहाने मैंने उसे बार-बार देखा।
जो कई बार देखा मैं हो गया दीवाना
लोगों ने बहुत समझाया पर मैं ही नहीं माना,
फिर वो तो नहीं आई पर मैं बार-बार आया,
फिर क्या हुआ कि उसको कोई और याद आया,
मैं था कितना पागल जो ये समझ ही न पाया,
अब मुझे लगता है प्रभु, तुम्हीं ने मुझे फँसाया।
जब मैं हुआ था व्याकुल उसे दुआओं में तुमसे माँगा,
फिर क्यों तूने उसको यूँ बेवफा बनाया,
उसके बहाने तूने मुझे मंदिर भी बुलाया,
मैं था संकोची बालक तूने चंचल बनाया,
हमें मोहब्बत है उनसे ये हमसे कहलवाया,
वो समझ सकी न हमको, डाँट हमको खिलवाया,
अब मुझे लगता है, तुम्हीं ने मुझे फँसाया।
जब मैं कहीं भी जाऊँ, उसे आस-पास पाऊँ,
तो मुझे यूँ लगता किस्मत है हमें मिलाती,
फिर ये सोचकर कि जब वो साथ होगी, मैं खुद को बदल लूँगा,
यदि वो कहेगी तो ये जहान जीत लूँगा।
पर क्या पता था उसका जहान अपना
मैं रह गया अकेला सब टूट गया सपना,
गर उसे दुनिया में मेरी आना ही नहीं था,
तो मेरे ख़ुदाया तूने पहले क्यों नहीं बताया,
अब मुझे लगता है प्रभु, तुम्हीं ने मुझे फँसाया।
अपने विचार साझा करें
एक प्रेमी, आशिक जब नायिका को देखता है एकतरफा प्यार कर बैठता है। फिर तो हर जगह उसका एहसास पाता है कहीं उसकी सूरत तो कहीं उसका नाम और कहीं उसके चर्चे। आशिक समझता है कि किस्मत या भगवान उसे नायिका से मिला रहा है परन्तु नायिका के न मिलने पर वो भगवान को और शायद खुद को कोसता है।