भाव का महत्व  HENIKA ARORA

भाव का महत्व

HENIKA ARORA

भाव जब भोजन में हो, बन जाए प्रसाद,
भाव जब संबंध में हो, मिट जाए अवसाद।
 

भाव जब आदर का हो, बन जाए सम्मान,
भाव में जब मैं बसे, तो हो जाए अभिमान।
 

भाव जब स्नेह का हो, प्रगाढ़ हो संबंध,
भाव में जब द्वेष बसे, शेष केवल द्वंद्व।
 

भाव जब वात्सल्य हो, अभिभावक बन जाता,
मात-पिता स्वरूप में, प्रभु तुल्य बन पाता।
 

भाव जब आशीष बने, काटे विपदा अनंत,
भाव जब भक्ति बने, होता दुखों का अंत।
 

भाव में नटखट बसे, तो छवि दिखे मोहन की,
भाव में दृढ़ता बसे, मिले सफलता शिखर की।
 

भाव के अभाव में, जीवन नष्ट हो जाए,
भाव की परिपूर्णता, जीवन का कमल खिलाए।
 

भाव हो जब प्रेम का, जीवन का हो प्रसार,
भाव जब समभाव हो, तो वो प्रभु का द्वार।

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