आँखों के आइने में Surya Pratap Singh
आँखों के आइने में
Surya Pratap Singhआँखों के आइने में जो तेरा अक्स नज़र आ जाए,
मैं जहाँ को भूलकर तेरे ख़्वाबों मे खो जाऊँ।
दिल बरबस ही करने लगता है इंतज़ार तेरा,
भूल से भी कहीं हिचकी जो आ जाए।
मचल जाता हूँ अक्सर तेरी अदाएँ देखकर,
निकलती हो जब सैरगाहो मे बलखाकर।
मदमस्त घटाओं सी ज़ुल्फ़ों को ओढ़कर,
शरारत करने को जी चाहे तुम्हे यूँ देखकर।
याद आ जाती है यूँ ही तेरी हर बातों की,
वो जज़्बात वो खयालात उन मुलाकातों की।
वो ख्वाब जो तसव्वुर मे सजाए हमने,
याद आ जाती है उन अधूरे अरमानों की।
याद आ जाती है मदमस्त जवानी के पल,
पर सिमट के रह गई है अब यादों में वो पल।
जब से मुस्कुराकर सितम ढाकर वो चली गई,
आँखों के इक इशारे से उल्फत सी हो गई।