वतन  Anupama Ravindra Singh Thakur

वतन

Anupama Ravindra Singh Thakur

चल रही हे ये साँसें मेरी
देश की कर्जदार हैं,
मौका मिलने पर
हम भी बता देंगे
ऐ वतन
हम कितने वफादार हैं।
 

उठती है मन में कसक
जब कोई रणवीर
शहीद होता है,
मौका मिलते ही
ऐ ! वतन
शहादत की कीमत चुका देंगे।
 

शहादत कोई जाति नहीं है
धर्म है यह
हम भारतीयों का,
सदियों पुरानी परंपरा है यह
अंग्रेजों को इसने झुका दिया।
हर कुर्बान का हिसाब लेंगे
शहादत की कीमत चुका देंगे।
 

भगत सिंह, राजगुरु,
सुखदेव की विरासत है,
चंद्रशेखर के शौर्य से
भुजाओं में बल है,
हृदय रुपी धनुष से
निकल रही
वेदना भरी टंकार है।
 

अब तो
मातृभूमि की
अंक में समा कर
चैन मिलेगा
एक शहीद कहलाकर।

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