डर का आलम  Surya Pratap Singh

डर का आलम

Surya Pratap Singh

फ़िज़ाओं में फैला हुआ डर का आलम
निगाहों में सभी के अजब खौफ है,
सहमी-सहमी सी आज दुनियाँ देखो
खुद तक सिमटने का गजब दौर है।
 

जो उन्मुक्त हो विचरण करोगे कहीं
हैं जो आज कल थे मे बदल जाएगा,
खुद को सीमित रखो खुद तक ही कुछ समय
निराशा आशा में जल्द ही बदल जाएगा।

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