आओ विकास  Abhishek Pandey

आओ विकास

Abhishek Pandey

पक्की नहरें, पक्की नदियाँ,
पक्की सड़कें, पक्की गलियाँ,
पूरा पोषण, उन्नत शिक्षा,
कब आएगी मेरे "बलियाँ"?
 

नंगे बदन, उघारे हैं,
झुग्गी में डेरा डारे हैं,
दशकों से अपलक नयनों से
दिल्ली की ओर निहारे हैं।
 

अब वही आस मिटने वाली
मन उनका है खाली-खाली,
अब बस उनका एक सहारा,
रूखी रोटी, फूटी थाली।

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