हे उदासी! Abhishek Pandey
हे उदासी!
Abhishek Pandeyहे उदासी!
निश्चेष्ट, निश्चल,
बोल कुछ, क्यों मौन है?
अस्तित्व तू मेरा समेटे,
वेदना-पट में है लपेटे,
हार की उन आहटों से,
डरी, सहमी, सिसकी हुई सी,
तू कौन है?
उत्साह की अद्भुत तरंगों
से दूर, इन निर्जन वनों में,
क्यों भटकती मौन है?
हे उदासी! निश्चेष्ट, निश्चल,
बोल कुछ, क्यों मौन है?