तेरी बातें  DEVENDRA PRATAP VERMA

तेरी बातें

DEVENDRA PRATAP VERMA

तेरी बातें तेरी यादें
तेरा हँसना-रोना भूलूँ,
कैसे मुमकिन है तुझ बिन मैं
खुशियों के झूले पर झूलूँ।
 

रिमझिम सावन लाख लुभाए
मंद-मंद पुरवा मुस्काए,
कोयल कूके पपीहा गाए
हरियाली धरती लहराए।
अंतर्मन के काव्य कुंज में
जब तक शब्दों से न छू लूँ,
कैसे मुमकिन है तुझ बिन मैं
खुशियों के झूले पर झूलूँ।
 

तेरा आना तेरा जाना
आना जाना हो सकता है,
लोक लाज के व्यसनों का
संदूक पुराना हो सकता है।
हिय सिंधु की गहराई में
प्रेम मौक्तिक अलौकिक को,
कोमल मृदु भावों से क्यों ना
नेत्र सजल में धारण कर लूँ।
कैसे मुमकिन है तुझ बिन मैं
खुशियों के झूले पर झूलूँ।

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