हिन्द के वीर  Dev Pateriya

हिन्द के वीर

Dev Pateriya

उग्र, तीव्र, सूर्य के तेजस
सी तेरी काया,
पराक्रम, साहस, वीरता की
अद्भुत सी तेरी माया।
 

विराट विक्रमी रूप है ऐसा
सागरमाथा भी डर जाए,
अपनी भुजाओं के फंदों से
तू सागर की लहरें हर जाए।
 

भीम सी तेरी ये ललकार
धरा और अम्बर तक डोले,
रणचंडी सी तेरी हुँकार
अंगद भी अस्थिर हो ले।
 

अप्रतिम तेरा ये शौर्य
अस्त्र-शस्त्र को देदे मात,
ब्रह्मास्त्र भी पड़े विफल
तेरा ऐसा घातक प्रतिघात।
 

उठा धनुष ये पौरुष का
साध निशाना अडिग अटल,
आए समंदर आए पर्वत
हर बाधा को भेदता चल।
 

बाण चला तू ऐसा अपना
हर लक्ष्य छिद्र-छिद्र हो जाए,
तेरा निशाना ऐसा हो
अर्जुन का गांडीव भी झुक जाए।
 

ये कुरुक्षेत्र का युद्ध नहीं
धरती तेरी रणभूमि है,
रच सामर्थ्य से ऐसी गाथा
जो हर शिखर को चूमी है।
 

बनाके दुर्गम पथ पे मार्ग
आगे बढ़ लेके अपना बल,
लहराता चल विजय का परचम
तू स्वयं ही पांडव का है दल।

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