वर्तमान राजनीति Shubham Amar Pandey
वर्तमान राजनीति
Shubham Amar Pandeyहो गया है क्या आज मेरे देश को,
पहचान नहीं पाता है अपनों के वेश को।
सिंहों की खाल ओढ़े घूम रहे भेड़िए,
राख करते जा रहे हैं शांति के परिवेश को।
बाँटते हैं जाति, धर्म, रंग, रूप, खान-पान,
घोलते हैं मन में जहर, बढ़ा रहे द्वेष को।
रौंदते हैं ज़िन्दगी मासूम सी कोई भली,
पालते हैं अपने अंदर सब एक लंकेश को।
देखने में लगते हैं ये अपने हितैषी,
और जानते हुए भी हम पालते हैं जोंक को।