मैं क्यों रुकूँ Aman Kumar Singh
मैं क्यों रुकूँ
Aman Kumar Singhमैं क्यों रुकूँ,
मैं क्यों झुकूँ,
संघर्ष का मैं यार हूँ,
मैं शून्य पे सवार हूँ।
राह में हों मुश्किलें
या कोई पहाड़ हो,
दर्द हो या हो खुशी
मैं अचूक वार हूँ।
सूर्य का सा तेज हूँ
और शाम की बहार हूँ,
हो ज़िन्दगी की रौनकें
या हार की फिर हार हो।
मैं क्यों डरूँ,
मैं क्यों डिगूँ,
मैं क्यों थकूँ
मैं शून्य पे सवार हूँ।