हवाएँ  Manju Anand

हवाएँ

Manju Anand

कहीं दूर से हवाएँ आई हैं,
लगता है तेरा पैग़ाम लाई हैं,
हवाओं में इक सुरूर है,
ऐसा लगता है तू रूबरू है।
जानती हूँ तू पास नहीं कहीं दूर है,
याद तेरी आज जो आई है,
यह मेरा नहीं इन हवाओं का ही क़सूर है,
कही दूर से हवाएँ आई हैं!

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