नारी को आज़ादी चाहिए Deepak
नारी को आज़ादी चाहिए
Deepakतुम्हें इतिहास दिखा देंगे हाँ अब
तुम्हें याद दिला देंगे हाँ अब,
कितना शोषण होता है
नारी के स्वाभिमान पर,
जैसे शीश छिटक के टूटे हैं,
जैसे कोई ठेस लगे है मन पर,
कब से बेड़ी में जकड़ी है
इसे आज़ाद करा देंगे हाँ अब।
नारी को ही तुम पूज-पूज कर
नारी को ही हर लेते हो,
कितनी विकृत है सोच तुम्हारी
भला कैसे ये सब कर लेते हो।
नारी पर हुए हर एक अत्याचार का
हिसाब लगाया जाएगा,
जिस बेड़ी में वो बंधी हुई है
उससे आज़ाद कराया जाएगा।
क्या भूल गए तुम
त्याग-समर्पण
अपनी माता-अपनी बहनों के,
क्या मोल चुका पाओगे तुम
गिरवी रखे उन गहनों के।
तुमने जो किये हैं उनपर
हर वो गिनकर अपराध बताया जाएगा,
जिस बेड़ी में वो बँधी हुई हैं
उससे आज़ाद कराया जाएगा।
उस युग से इस युग तक
अग्निपरीक्षा बस नारी के हिस्से आई है,
परिवार के सम्मान के ख़ातिर
अपने सम्मान की आहुति उसने चढ़ाई है।
कब तक उसके बलिदान को
कमतर आँका जाएगा,
जिस बेड़ी में वो बँधी हुई है
उससे आज़ाद कराया जाएगा।
अपने विचार साझा करें
ना जाने कितने सालों से नारी पर शोषण और अत्याचार हुआ है। आज के वर्तमान समय में भी वही रीतियाँ दोहराई जा रही हैं। हालाँकि धीरे-धीरे देश बदल रहा है धीरे-धीरे हम विकास की पगडंडियों पर आगे भी बढ़ रहे हैं लेकिन कई जगह नारी की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। इन्हीं नारी चेतना और नारी संवेदना पर विचार करके मैंने ये कविता लिखी है।