हो गए प्रैक्टिकल  VIMAL KISHORE RANA

हो गए प्रैक्टिकल

VIMAL KISHORE RANA

आखिर हो गए हम भी प्रैक्टिकल
इस ज़िंदगी के मेले में,
खोते नहीं है अब
किसी भीड़ में, अकेले में।
ज़िंदगी और खुशी का अर्थ तो अब सोचे भी नहीं,
बहते रहते हैं बस, ले जाए जिस रेले में,
आखिर हो गए हम भी प्रैक्टिकल।
 

कलम से निकलता था जादू
वो खो गया,
सपने सँजोते थे कभी,
यथार्थ हमें सँजो गया।
एक बाँध बना कर थाम लिया लहरों को मानों,
पर जो मोती थे, उनको तो पिरो गया
और बेच दिया बाज़ार में, जाने किस ठेले में।
बहते रहते हैं बस, ले जाए जिस रेले में,
आखिर हो गए हम भी प्रैक्टिकल।
 

वक़्त ने पीटा है हर पल कौन से डंडे से जाने,
कि मुड़ कर देखने की हिम्मत नहीं पड़ती,
जिस को देखना भी गँवारा नहीं था इक दिन,
पैरों के नीचे आजकल है वही धरती।
दे-दना-दन, दे-दना-दन, बदल कर रख दिया,
भुला दी सारी थ्योरी वक़्त के धकेले में,
पर खोते नहीं है अब,
किसी भीड़ में, अकेले में।
 

आखिर हो गए हम भी प्रैक्टिकल,
इस ज़िंदगी के मेले में,
खोते नहीं है अब,
किसी भीड़ में, अकेले में।
ज़िंदगी और खुशी का अर्थ तो अब सोचे भी नहीं,
बहते रहते हैं बस, ले जाए जिस रेले में,
आखिर हो गए हम भी प्रैक्टिकल,
हाँ हो गए हम भी प्रैक्टिकल।

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