जो चले जाते हैं वो कभी वापिस नहीं आते  CHANDRESH PRAGYA VERMA

जो चले जाते हैं वो कभी वापिस नहीं आते

CHANDRESH PRAGYA VERMA

जो चले जाते हैं वो कभी वापिस नहीं आते
अंतर्मन की पीड़ा को हम हर पल हैं समझाते,
जीवन के निष्ठुर सत्य स्वीकार नहीं कर पाते
हृदय में आती भावनाओं को दरकिनार कर पाते,
इसी तरह दिन महीने साल निकलते जाते,
जो चले जाते हैं वो कभी वापिस नहीं आते।
 

हर पल हर क्षण लगता है वो लौट कर आएगा,
अभी भी सूनी है मेरी कलाई आकर दिखलाएगा,
त्योहारों के सूनेपन को मुस्कान से भर जाएगा,
कभी सोचा न था वो इतनी दूर चला जाएगा,
इसी तरह दिन महीने साल निकलते जाते,
जो चले जाते हैं वो कभी वापिस नहीं आते।
 

सबकुछ है पर एक खालीपन फिर भी लगता है,
याद हर पल आती है मन में भारीपन लगता है,
घर के सबसे छोटे को कौन भला भुला पाता है,
जीवन बस जैसे-तैसे ही कटता चला जाता है,
इसी तरह दिन महीने साल निकलते जाते,
जो चले जाते हैं वो कभी वापिस नहीं आते।
 

कहते हैं वक़्त के साथ दर्द कम होता जाता है,
पर मेरा अनुभव है ये और गहराता जाता है,
कहने और सहने के जज्बात वो ही जान पाता है,
जो इस दर्द के दौर से थोड़ा भी गुज़र पाता है,
इसी तरह दिन महीने साल निकलते जाते,
जो चले जाते हैं वो कभी वापिस नहीं आते।

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