वह खिंचवाती फोटू  सीमा भुनेश्वर सिंह

वह खिंचवाती फोटू

सीमा भुनेश्वर सिंह

वह खिंचवाती फोटू,
देखा मैंने उसे
गहरी झील, खाई और बीच पथ पर।
 

कहीं चहुँ ओर छायादार,
झीनी-झीनी धूप, बैठी वह सोच विचार,
श्यामल तन, केश जैसे बलखाती नागिन।
कभी स्वीट सेल्फ़ी, तो कभी हाई पिक्सेल के साथ
पोज़ पर पोज़ देती, अनेक प्रकार
कर सखियों को परेशान,
फिर कहती ला एक बार देखूँ
कैसी-कैसी खींची हैं फोटू।
 

इक 'परफेक्ट क्लिक' के खातिर,
सह लेती धूप, खेल लेती खतरे जान,
लगाने को डीपी,
करने को स्टेटस अपडेट,
मुँह बिचकाती, भौंहे तान लेती,
बनाती-बिगाड़ती चेहरे के रंग-आकार,
और कहती, बस आखिरी बार
जान खींच ले यार,
है बस ये लास्ट फोटू।
 

वह खिंचवाती फोटू,
देखा मैंने उसे
गहरी झील, खाई और बीच पथ पर,
वह खिंचवाती फोटू।

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