ऐ मौत तेरी गति कैसी है Aman Kumar Singh
ऐ मौत तेरी गति कैसी है
Aman Kumar Singhए मौत तेरी गति कैसी है,
लाशों से तेरी रति कैसी है।
जीते जी जो शांति प्राप्ति को
इधर-उधर था भटक रहा,
तुझसे मिल के एक पल में ही,
उसे शांति प्राप्ति हो जाती है,
पर तुझको ये भी ज्ञात है क्या,
जो उसके पीछे छूट गए हैं
उनकी हालत क्या हो जाती है।
तुझको भी मैं दोष क्या दूँ,
ये चक्र ही ऐसा चलता है,
वो भी यहाँ खाक हो जाता,
जो नाजों से अक्सर पलता है।
जीवन भर जिसकी चाह में हम
दिन रात एक करते जाते हैं,
और बस तुझसे मिलते ही
सब छूट यहीं पर जाता है।
तुझको कोई समझ न पाया,
तुझमें क्या है राज़ समाया,
पर प्रश्न ये अक्सर आता है,
ए मौत तेरी गति कैसी है,
लाशों से तेरी रति कैसी है।