दुखड़ा फाइल का CHANDRESH PRAGYA VERMA
दुखड़ा फाइल का
CHANDRESH PRAGYA VERMAएक के ऊपर एक फाइलों का हो अंबार,
बाबू से बात करने की कोशिश हो बेकार।
समझ लीजिए हाज़िर हैं सरकारी दफ्तर में आज।
आज का काम कल, कल का काम परसों पर,
'फाइल अभी आई नहीं', 'अभी तो यहीं थी',
'पता नहीं कहाँ गई', सुन-सुन के पक गई मेरे यार,
समझ लीजिए हाज़िर हैं सरकारी दफ्तर में आज।
जब अपनी फाइल की शक्ल देखे महीनों बीत जाएँ,
बहुत कोशिश करने पर भी कुछ हाथ न आए,
समझ लीजिए हाज़िर हैं सरकारी दफ्तर में आज।
बलखाती फाइल की चाल से हो गई हूँ परेशान,
अब तो लगे भगवान भी हो गए हैं अंतर्ध्यान,
समझ लीजिए हाज़िर हैं सरकारी दफ्तर में आज।
काश ऐसा हो जाए, हर फाइल में एक "ट्रैकर" लग जाए,
इंटरनेट, ई-ऑफिस के इस तकनीक वाले ज़माने में,
थक गए हम तो भैया फाइल के चक्कर लगाने में।
'मोदी' जी कहते हैं अच्छे दिन आ गए,
फाइल का नाम सुनते ही फिर चक्कर आ गए।
कंप्यूटर के ज़माने में क्यों धक्के खाते हो,
एक क्लिक में क्यों नहीं फाइल भिजवाते हो,
इस बहाने पेपर भी बचा पाएँगे,
हम पर्यावरण की सुरक्षा भी कर पाएँगे।