आरक्षण  Sachin Prakash

आरक्षण

Sachin Prakash

जो जन्म पे ही अधिकार नहीं
तो आरक्षण का आधार है क्या,
जो कर्म से ही बरबाद यहाँ हो
वो आरक्षण से आबाद है क्या।
 

सालों से चल रहा ये खेल
कितनों का ही उद्धार हुआ,
जो पहले से खेले थे खेल
उनका ही बस विस्तार हुआ।
 

जो पैसों के पास कभी थे
वो पैसों के और पास हुए,
जो दूसरों के आस पे कभी थे
वो ही आरक्षण के दास हुए।
 

देशहित में क्या सही है
ये कोई नहीं यहाँ सोचेगा,
सबको चाहिए वोट यहाँ
बस रोटी अपनी सेकेगा।
 

आरक्षण से नौकरी होगी
मगर कौशल कहाँ से आएगा,
आगे बढ़ने के रास्ते होंगे
मगर सोच कहाँ से लाएगा।
 

शिक्षा और कुशलता से ही
असमानता मिट जाएगा,
देश बढ़ेगा सबसे आगे
खुशहाली भी आएगा।

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