युद्ध थम जाएगा  Om Prakash

युद्ध थम जाएगा

Om Prakash

सबको झूठा आश्वासन देकर जब वो युद्ध को चला होगा,
हाथों को चूम नन्हीं परी के, घूंट लहू उसने भी पिया होगा,
माँ फफक-फफक कर रोएगी, पिता देशधर्म समझाएगा,
वहीं घर के चौखट पर पत्नी, राह धरे सिसकायेगी,
पर जो कफन बाँध कर निकला है, वो कहाँ लौट कर आएगा,
युद्ध ही तो है, कुछ दिनों में ये युद्ध भी थम जाएगा।
 

आज खेल रहे जहाँ ये खून की होली,
कल यहीं पर अमन की दीवाली मनाई जाएगी,
आज जहाँ गोलों बारूदों का भयावह मंजर है,
कल यहीं पर निर्जीव कागजों पर समझौता होगा,
ये तुच्छ वैश्विक संगठनों का जमावड़ा अंततः आगे आएगा,
युद्ध ही तो है, कुछ दिनों में ये युद्ध भी थम जाएगा।
 

मानव विध्वंस का ये मलबा कल कुछ लोग हटाने आएँगे,
उजड़ी बस्तियों, टूटे आशियानों को कुछ लोग सजाने आएँगे,
फिर से इतिहास के पन्नों पर कुछ झूठे महान उकेरे जाएँगे,
सबकुछ होगा पहले जैसा, एक नया दौर भी आएगा,
पर क्या इन झूठे वादों से वही पुराना देश बन पाएगा,
युद्ध ही तो है, कुछ दिनों में ये युद्ध भी थम जाएगा।

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