मेरा वतन ABHISHEK KUMAR GUPTA
मेरा वतन
ABHISHEK KUMAR GUPTAदिल-ओ-जान से भी प्यारा
मुझको मेरा वतन है,
ये शान है हमारी
इसको मेरा नमन है।
सोने की इसकी धरती
चाँदी का मेरा वतन है,
जिसका मुकुट हिमालय
खड़ा आज भी अडिग है।
हर किसी के दिल में बसता
ऐसा मेरा चमन है।
ये शान है हमारी.........
ऋषियों कि तपोभूमि
वीरों की है ये धरती,
यहाँ खून की जगह पर
नस-नस में गंगा बहती,
नफरत नही दिलों में
यहाँ शान्ति और अमन है।
ये शान है हमारी..........
यहाँ कृष्ण राधिका संग
हैं प्रेमरास करते,
भोले के काशी में सब
हैं मोक्ष की इच्छा रखते,
सभी धर्म के जयकारों
से गूँजता गगन है।
ये शान है हमारी.........
हमने सकल जगत को
इंसानियत सिखाया,
दुश्मन को दोस्त कहकर
हमने गले लगाया,
सर्वे भवन्तु सुखिनः
सबका जहाँ धरम है।
ये शान है हमारी.........
हिन्दू हो या हो मुस्लिम
हो सिक्ख या इसाई,
हम एक हैं सदा से
आपस में भाई-भाई,
इंसानियत जहाँ पर
सबसे बड़ा धरम है।
ये शान है हमारी.........
जो देखना हो जन्नत
आओ मेरे वतन में,
केसर कि खुशबू फैली
बहती हुई पवन में,
एक बार जो भी आता
हो जाता वो मगन है।
ये शान है हमारी.........