बेताब मोती  Surya Pratap Singh

बेताब मोती

Surya Pratap Singh

बिखरने को बेताब मोतियों
को समेटने की कोशिश कर रहा हूँ,
बिखर न जाएँ कहीं ये अनमोल मोती
जद्दोजहद में इसी के आजकल जी रहा हूँ।
 

अजीब सी खामोशी शामिल है इस अहले दिल में
मगर खुशमिजाज ही नज़र आता हूँ जहाँ को,
क्या कहें कितना भी अच्छा सोचें हम
तौलता फिर रहा जहाँ अपनी शर्तों पर मगर।

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