नवभारत Upendra Prasad
नवभारत
Upendra Prasadविज्ञान, कला, साहित्य जगत में, जिनका नाम महान है,
दुनिया के उस मानचित्र पर, नव भारत पहचान है।
कंधे पर कुदाल सजे और हाथों में मोबाईल है,
शस्य-श्यामल खेतों में, तीसी, सरसों लहराईल है।
ताज़ी सब्जी, ताज़ा फल अब, किचन की जो शान है,
समझ लो यारों कोई नहीं, नव भारत के किसान हैं।
कृषि के तकनीक जगत में, जिनका नाम महान है,
दुनिया के उस मानचित्र पर, नव भारत पहचान है।
घर बैठे हम डील कर लेते, कारोबार व्यापार है,
मिनट-मिनट पर मिलता रहता, ताज़ा समाचार है।
कार्यालय के कार्य निपटते, बिना पेपर बिना स्याही से,
असंभव सब संभव हुआ, डिजिटल की दुहाई से।
डिजिटल की जादुई जगत में, जिनका नाम महान है,
दुनिया के उस मानचित्र पर, नव भारत पहचान है।
कोरोना की महामारी से, पूरी दुनिया में तबाही है,
भारत की वैक्सीन से पूरी, मानवता हर्षायी है।
डॉक्टर, नर्स, पुलिस, सेवक सब, अपनी जान गँवाई है,
जान हथेली पर लिए वे, कितनी जान बचायी हैं।
नई चिकित्सा के जगत में, जिनका नाम महान है,
दुनिया के उस मानचित्र पर, नव भारत पहचान है।
शिक्षा, महिला, खेलकूद में, आगे कदम बढ़ाया है,
सबको हमने सशक्त बनाकर, आसमान को छुआ है।
नहीं है कोई भेदभाव अब, सबका मान-सम्मान है,
एक ही गाड़ी के दो पहिये, साथ-साथ गतिमान हैं।
सभ्य समाज के स्थापन में, जिनका नाम महान है,
दुनिया के उस मानचित्र पर, नव भारत पहचान है।
चाँद को चूमने की तमन्ना, हरगिज़ भूल न पाएँगे,
बार-बार हम गिरकर भी, एक दिन मंज़िल तक जाएँगे।
चंद्रयान अभियान हमारा, मंगलयान भी जारी है,
गगनयान का क्या कहना, जो पड़ता सब पर भारी है।
अंतरिक्ष के अनंत जगत में, जिनका नाम महान है,
दुनिया के उस मानचित्र पर, नव भारत पहचान है।
आकाश, अग्नि, त्रिशूल, पृथ्वी, सीमा के चौकीदार हैं,
अर्जुन, कर्ण, भीष्म टैंक का, शौर्य शानदार है।
दुश्मन जिनके नाम से काँपते, उनका नाम डोभाल है,
लौहपुरुष के वंशज हैं वे, नव भारत के लाल हैं।
रक्षा के पराक्रम जगत में, जिनका नाम महान है,
दुनिया के उस मानचित्र पर, नव भारत पहचान है।
अंबानी, अडानी, टाटा, अज़ीम प्रेमजी शान हैं,
दोनों हाथों से लोगों पर, लुटाते अपनी जान हैं।
अब्दुल कलाम, विवेकानंद की, धरती बेशुमार है,
अमर्त्य सेन, मनमोहन सिंह, नव भारत के कर्णधार हैं।
विश्व-विभूति के जगत में, जिनका नाम महान है,
दुनिया के उस मानचित्र पर, नव भारत पहचान है।
बिगड़े रिश्ते बने हमारे, दुनिया के दुलारे हैं,
रूस, अमेरिका, अरब देशों को, लगते अब हम प्यारे हैं।
देश की बागडोर भले संत को, लगते सबको न्यारे हैं,
शांति और विकास पढ़ाकर, बने जगत के तारे हैं।
देश दुनिया से मधुर सम्बन्ध में, जिनका नाम महान है,
दुनिया के उस मानचित्र पर, नव भारत पहचान है।
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यह कविता नए भारत की आकांक्षाओं और सपनों को अभिव्यक्त करती है। कृषि, उद्योग, तकनीकी, चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्र में देश में अभूतपूर्व प्रगति हुई है जिसे बारीकी से इस कविता में पिरोया गया है। हमारा देश सभ्यता, संस्कृति और संसाधनों से परिपूर्ण है जो नव भारत के निर्माण में अपना अहम योगदान देते हैं।