करवा का व्रत SANTOSH GUPTA
करवा का व्रत
SANTOSH GUPTAओ चाँद मेरे दीदार से पहले आज तेरा दीदार सही,
ओ मेंहदी मेरे स्पर्श से पहले आज तेरा श्रंगार सही।
ऐ क्षुधा तू आज देर से आना भार्या को तू स्वीकार नहीं,
ओ चलनी तेरी चलन से कण-कण का हो निहार सही।
ओ वनिता तेरे व्रत से, अगर मैं आयुष्मान बनूँ,
मेरा भी करवा ऐ प्राणप्रिये समर्पण तुझे हर बार सही।
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भार्या के द्वारा अपने लिए किये गए करवा के व्रत से प्रेरित होकर एक पति किस प्रकार चांद, मेंहदी, चलनी इत्यादि को अपना सम्मान समर्पित करता है और स्वयं अपनी जीवन संगिनी के लिए करवा का व्रत करने की कामना करता है। मेरी ये पंक्तियाँ इन्हीं विचारों से प्रेरित हैं।