सरस्वती वंदना Vibhav Saxena
सरस्वती वंदना
Vibhav Saxenaतेरी दया के बिना इस संसार में सब कुछ असंभव है,
तेरी कृपा से ही माता बुद्धि, ज्ञान, यश और विभव है।
युगों-युगों से वीणापाणि तीनों लोकों पर तेरी दृष्टि है,
तेरे ही आशीर्वाद से चलती हंस वाहिनी यह सृष्टि है।
देवों पर भी जब संकट आया बनी सहायक तब तुम,
तेरी महिमा का गुणगान करने में सक्षम कहाँ हैं हम?
तेरे कारण ही होता आया सदा दुर्जनों का पराभव है,
तेरी कृपा से ही माता बुद्धि, ज्ञान, यश और विभव है।
अज्ञान के अन्धकार में मानव सदा भटकता फिरता,
तेरी कृपा जो न होती तो ज्ञान का भंडार न मिलता।
न होती वाणी जगत में न सुर सरिता मनोरम बहती,
ऐसी स्थिति सुख से भला कैसे मानव जाति रहती?
तेरे आशीष से मिलता जीवन का सुखद अनुभव है,
तेरी कृपा से ही माता बुद्धि, ज्ञान, यश और विभव है।
हम सब हो जाएँ प्रत्येक दुर्गुण से दूर यही वर दो माँ,
प्रेम और बंधुत्व को हर मनुष्य के हृदय में भर दो माँ।
एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहें सदैव हम सभी,
सत्कर्म एवं सदमार्ग से जीवन में न हों विचलित कभी।
तेरी कृपा हुई तो हो सकता माँ यह सब कुछ संभव है,
तेरी कृपा से ही माता बुद्धि, ज्ञान, यश और विभव है।