संदेश Vibhav Saxena
संदेश
Vibhav Saxenaघरों में वृद्ध माता-पिता का तिरस्कार देखकर,
अगली पीढ़ी का उनके प्रति व्यवहार देखकर,
आश्चर्य से भर जाया करता हूँ आए दिन मैं तो,
तिल-तिल यूँ दम तोड़ते हुए संस्कार देखकर।
वो माँ जो नौ माह शिशु को गर्भ में रखती है,
सन्तान को जन्म देने में कितने कष्ट सहती है,
संसार की प्रथम गुरु उसका भला ही चाहकर,
बच्चों की खुशी के लिए क्या कुछ ना करती है?
दुःख होता है इन माताओं का तिरस्कार देखकर...
पिता, जिसकी डांट में छिपी बच्चों की भलाई है,
जिसके संघर्षों से ही तो हर सन्तान पल पाई है,
अपने बच्चों के सुखी जीवन की लालसा पाले,
जिसने सुख-चैन, नींद, सम्पत्ति तक भी गँवाई है।
ऐसे महान व्यक्तित्व की उपेक्षा बार-बार देखकर...
सोचें युवा कि वो भी एक दिन माता-पिता बनेंगे,
और तब अगर उनके बच्चे भी यही बर्ताव करेंगे,
तो क्या मनोदशा होगी कैसे व्यतीत होगा जीवन,
जब बच्चे उन्हें छोड़ अपने परिवार में खुश रहेंगे।
क्या अच्छा लगेगा उनका ऐसा व्यवहार देखकर...
माता पिता तो हैं भगवान का रूप ये जान लीजिए,
इनको आप सदा ही स्नेह, आदर और मान दीजिए,
जीवन में कोई कष्ट आपको छूकर भी ना जाएगा,
केवल दिन-रात इनकी सेवा और सम्मान कीजिए।
फिर होगा अचरज बस खुशियों के भंडार देखकर...