आधी दुनिया के लिए Vibhav Saxena
आधी दुनिया के लिए
Vibhav Saxenaमाँ, बहन, बेटी और बीवी बनकर रहती है दुनिया में
कोई भी शख्स उसकी अहमियत से अंजान नहीं है,
मगर ये भी एक बहुत कड़वी सच्चाई है इस दौर में
कि औरत का सुकून से जी पाना आसान नहीं है।
कोई भी माँ नहीं सिखाती कि जुल्म हो अबला पर
फिर क्यों दरिंदों के दिल में जगह अच्छाई नहीं लेती?
हैरान हूँ मैं ये सोचकर कि किसी बेगुनाह में उनको
अपनी माँ, बहन या एक बेटी क्यों दिखाई नहीं देती?
भूल जाया करते हैं बेटे अक्सर अपने माँ बाप को
लेकिन विदा होकर भी पराई कभी बेटी नहीं होती,
अरे ओ कोख में बेटियों को मारने वालों तुम समझो
बड़े बदनसीब हैं वो जिनके घरों में बेटी नहीं होती।
अब जरूरी है कि वक्त रहते ही हम सब खुद संभलें
और हर किसी को इस एक सच्चाई से रुबरु कराएँ,
बिना औरत के वजूद मुमकिन नहीं है इस जहाँ का
उनकी हिफाजत करें और इस दुनिया को भी बचाएँ।