सब नकली लगता है CHANDRESH PRAGYA VERMA
सब नकली लगता है
CHANDRESH PRAGYA VERMAचेहरे पर मुस्कुराहट
बातों में बनावट,
जबरदस्ती की सजावट
सब नकली लगता है।
प्यार का दिखावा
बेतरतीब का पहनावा,
फालतू का शोर शराबा
सब नकली लगता है।
ज़रूरत पर आनाकानी
बेवजह की मनमानी,
अपनों की बदज़ुबानी
सब नकली लगता है।
लोगों का बर्ताव
मोबाइल में किताब,
रिश्तों का हिसाब
सब नकली लगता है।