मेरा गांव और ये शहर  Bhanu Pratap Singh Tomar

मेरा गांव और ये शहर

Bhanu Pratap Singh Tomar

छोड़कर आ गया तो क्या हुआ
मन मेरा लगता है मेरे गांव में,
सुकून मिलता नहीं है शहर में मुझे,
चैन मिलता है बस गांव की छाँव में।
 

छोड़कर आ गया तो क्या हुआ ...
 

यूँ तो शहर में है भीड़ बहुत
पर फिर भी सभी तो अनजान हैं,
मेरे गांव में जाकर देखो जरा
वहाँ सब से ही मेरी पहचान है।
 

छोड़कर आ गया तो क्या हुआ ...
 

गांव में है समय सबके पास वहाँ
खाता, पीता वहाँ संग परिवार है,
घर के लोगों से भी यहाँ मिलते नहीं
शहर में मिलने को एक इतवार है।
 

छोड़कर आ गया तो क्या हुआ ...
 

वहाँ बीघाओं में घर बने थे सभी
यहाँ छोटे से टुकड़े में करते बसर,
हवा, पानी ना तहजीब यहाँ के भले
मन करता है अब छोड़ दूँ ये शहर।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
229
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com