माँ का दायित्व Neelam Kushwaha
माँ का दायित्व
Neelam Kushwahaमाँ शब्द का अर्थ है दायित्व,
करती निर्वाह वह अपने कर्तव्य
मुश्किलें तब बढ़ जाती उसकी
जब होती नौकरी पास उसके।
नौकरी सरकारी हो या घरेलु
उठती वह सूर्योदय से पहले,
सोती रात ढलने के बाद।
नौकरी वाली औरत है वो,
पैसे, ऐश्वर्य ही कमी कहाँ,
कहते नही थकते लोग।
देखता कोई नहीं उसके त्याग- बलिदान,
कर्तव्यों से भरी आखें उसकी
हृदय दायित्वों से चकनाचूर
फिर भी बहती वह जल-प्रवाह की भांति अविरत।
घड़ी की सुईयाँ भी थम जाती हैं कभी
पर माँ नहीं थकती जिम्मेदारियों से,
जब तक है श्वांस उसके प्राणों में,
करती वह हर काम,
सौंपा जो समाज ने उसको।
वो निर्झरा है, निश्छला है,
वो ही शक्ति स्वरूपा है,
दुर्दैव यही मोल नहीं उसके प्रेम का, त्याग का,
बस, बिना थके, बिना थमे,
अग्रसर वह, कर्तव्य पथ पर।
कोई स्वीकारे, उसके मातृत्व को, दुलार को,
नहीं चुराती वह जी काम से,
समाज के दिए अकथित कायदों से बोझिल,
फिर भी, हल्की मुस्कराहट लिए चेहरे पर
लग जाती वह कार्य पर, अविश्राम।